जी. सुन्दर रेड्डी का जीवन परिचय
श्री जी, सुन्दर रेड्डी का जन्म वर्ष 1919 में आन्ध्र प्रदेश में हुआ था। इनकी आरम्भिक शिक्षा संस्कृत एवं तेलुगू भाषा में हुई व उच्च शिक्षा हिन्दी में। श्रेष्ठ विचारक, समालोचक एवं उत्कृष्ट निबन्धकार प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी लगभग 30 वर्षों तक आन्ध विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे। इन्होंने हिन्दी और तेलुगू साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन पर पर्याप्त काम किया।
साहित्यिक सेवाएँ श्रेष्ठ विचारक, सजग समालोचक, सशक्त निबन्धकार, हिन्दी और दक्षिण की भाषाओं में मैत्री-भाव के लिए प्रयत्नशील, मानवतावादी दृष्टिकोण के पक्षपाती प्रोफेसर जी. सुन्दर रेड्डी का व्यक्तित्व और कृतित्व अत्यन्त प्रभावशाली है। ये हिन्दी के प्रकाण्ड पण्डित हैं। आन्ध्र विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर अध्ययन एवं अनुसन्धान विभाग में हिन्दी और तेलुगु साहित्यों के विविध प्रश्नों पर इन्होंने तुलनात्मक अध्ययन और शोधकार्य किया है। अहिन्दीभाषी प्रदेश के निवासी होते हुए भी प्रोफेसर रेड्डी का हिन्दी भाष पर अच्छा अधिकार है। इन्होंने दक्षिण भारत में हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कृतियाँ अब तक प्रो. रेड्डी के आठ ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी जिन रचनाओं से साहित्य-संसार परिचित है, उनके नाम इस प्रकार हैं
(i) साहित्य और समाज,
(ii) मेरे विचार
(iii) हिन्दी और तेलुगू : एक तुलनात्मक अध्ययन,
(iv) दक्षिण की भाषाएँ और उनका साहित्य
(v) वैचारिकी
(vi) शोध और बोध
(vii) वेलुगु वारुल (तेलुगू)
(viii) लैंग्वेज प्रॉब्लम इन इण्डिया’ (सम्पादित अंग्रेज़ी ग्रन्थ) इनके अतिरिक्त हिन्दी, तेलुगू तथा अंग्रेज़ी पत्र-पत्रिकाओं में इनके अनेक निबन्ध प्रकाशित हुए हैं। इनके प्रत्येक निबन्ध में इनका मानवतावादी दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।
भाषा-शैली प्रो. जी, सुन्दर रेड्डी की भाषा शुद्ध, परिष्कृत, परिमार्जित तथा साहित्यिक खड़ीबोली है, जिसमें सरलता, स्पष्टता और सहजता का गुण विद्यमान है। इन्होंने संस्कृत के तत्सम शब्दों के साथ, उर्दू, फारसी तथा अंग्रेजी भाषा के शब्दों का भी प्रयोग किया है। इन्होंने अपनी भाषा को प्रभावशाली बनाने के लिए मुहावरों तथा लोकोक्तियों का प्रयोग भी किया है। इन्होंने प्रायः विचारात्मक, समीक्षात्मक, सूत्रात्मक, प्रश्नात्मक आदि। शैलियों का प्रयोग अपने साहित्य में किया है।
हिन्दी साहित्य में स्थान प्रो. जी. सुन्दर रेड्डी हिन्दी साहित्य जगत के उच्चकोटि के विचारक, समालोचक एवं निबन्धकार हैं। इनकी रचनाओं में विचारों की परिपक्वता, तथ्यों की सटीक व्याख्या एवं विषय सम्बन्धी स्पष्टता दिखाई देती है। इसमें सन्देह नहीं कि अहिन्दीभाषी क्षेत्र से होते हुए भी इन्होंने हिन्दी भाषा के प्रति अपनी जिस निष्ठा व अटूट साधना का परिचय दिया है, वह अत्यन्त प्रेरणास्पद है। अपनी सशक्त लेखनी से इन्होंने हिन्दी साहित्य जगत में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है।
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