यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट हिन्दी की परीक्षा 24 अप्रैल को आयोजित होनी थी‚ लेकिन अब तिथियां बदलेंगी। फिलहाल सामान्य हिन्दी के पेपर में गद्यांशों, पद्याशों और सूक्तियों की व्याख्या के साथ व्याकरण पर पकड़ परीक्षार्थियों को अच्छे नंबर दिलाने के लिए काफी है। छात्र-छात्राओं को अन्य विषयों के जितना ही हिन्दी की तैयारी पर ध्यान देना चाहिए। विशेषज्ञों के अनुसार वाक्य छोटे, सरल, सुबोध, आकर्षक और प्रभावी हों। परीक्षा में जितना आवश्यक हो उतना सटीक उत्तर देना चाहिए। जो भी लिखें व तार्किक व व्यवस्थित हों।


अंक विभाजन

इकाई                                                 अंक

हिन्दी गद्य साहित्य का इतिहास-5

पद्य साहित्य का विकास-5

गद्यांशों पर आधारित प्रश्न-10

पद्यांशों पर आधारित प्रश्न-10

लेखकों का साहित्यिक परिचय एवं कृतियां-5

कवियों का साहित्यिक परिचय एवं कृतियां-5

कहानियों का सारांश एवं उद्देश्य पर आधारित प्रश्न-5

खंडकाव्य की कथावस्तु एवं प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण-5 

संस्कृत गद्य का संदर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद-7

संस्कृत पद्य का संदर्भ सहित हिन्दी में अनुवाद-7

लोकोक्तियों एवं मुहावरों के अर्थ एवं वाक्य प्रयोग-2

संधि-3

संस्कृत शब्दों में विभक्ति की पहचान-2

शब्दों में सूक्ष्म उत्तर-2

अनेकार्थी शब्द-2

अनेक शब्दों के लिए एक शब्द-2

वाक्यों के त्रुटिमार्जन-2

रस-2

अलंकार-2

छंद-2

पत्र लेखन-6

निबंध लेखन-9

योग-100


टिप्स

-हिन्दी के प्रश्नों के उत्तर देते समय भाषा, शब्द विन्यास, व्याकरण आदि का ध्यान रखना चाहिए। 

-व्याख्या से जुड़े प्रश्नों में व्याख्या के सभी पदों का सम्यक प्रयोग करते हुए साहित्यिक सौंदर्य या काव्यगत सौंदर्य के सभी पक्षों पर अनिवार्य रूप से प्रकाश डालें।

-साहित्यकारों की जीवनी में उनके साहित्यिक अवदानों की दिशा में अधिक प्रकाश डालना उचित होगा। जैसे रचनाएं, उनकी प्रवृत्तियां, कला पक्ष, भाव पक्ष, भाषा शैली आदि पर विशेष प्रकाश डालें।

-शीर्षकों, महत्वपूर्ण अंशों एवं उद्धरणों आदि को काली स्केच पेन से लिखकर रेखांकित करना उचित होगा।

-खंड काव्य एवं नाटक में चरित्र चित्रण करते समय जितना हो सके किताब से उद्धरण देकर अपनी बात पुष्ट करते हुए उत्तर देना उचित होगा।

-संस्कृत के श्लोकों एवं गद्य खंडों के ससंदर्भ अनुवाद में जितना संभव हो संस्कृत शब्दों का हिन्दी अनुवाद ही करें। अपनी ओर से वाक्य की परिपूर्णता की दृष्टि से जोड़े गए शब्दों को कोष्ठक में लिखें। अंत में विशिष्टता का उल्लेख करें।

-रस, छंद, अलंकार आदि की परिभाषाएं स्पष्ट, पूर्ण और शास्त्र सम्मत हों। उदाहरण और स्पष्टीकरण अवश्य लिखा जाएं।

-हिन्दी साहित्य के इतिहास से जुड़े प्रश्नों का उत्तर तथ्यपरक और प्रमाण के साथ होना चाहिए।

-निबंध लेखन में प्रस्तावना और उपसंहार पर विशेष ध्यान दें।

-लघुउत्तरीय एवं बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर अवश्य तैयार करें। इसमें पूरे अंक प्राप्त होते हैं।

-किसी भी प्रश्न को परीक्षा में छोड़कर न आएं। यदि समय कम बचता है तो उसके उत्तर बिन्दुवार ही लिख दें।

-गद्य एवं पद्य के विकास से संबंधित लघु प्रश्नों का उत्तर देते समय हिन्दी साहित्य के कालक्रम को ध्यान में रखेंगे तो उत्तर देने में सुविधा होगी।

-नाटक एवं खंडकाव्य में प्रश्नों का उत्तर लिखते समय उनकी कथावस्तु को ध्यान में रखकर उत्तर लिखें।

-मुहावरों का वाक्य प्रयोग करते समय वाक्य में मुहावरे को लिखें उसके अर्थ को नहीं।

-संधि-विच्छेद करते समय सूत्र को ध्यान में रखें।

प्रदीप कुमार त्रिपाठी (प्रधानाचार्य माधव ज्ञान केंद्र नैनी) ने कहा, हिन्दी विषय में शुद्ध, स्पष्ट व सुलेखन अच्छे अंक दिलाने में सहयाक होंगे, इसका ध्यान रखें। जो प्रश्न सबसे अच्छी तरह तैयार हो उसे पहले करना उचित होगा लेकिन यथासंभव प्रश्नपत्र में दिए गए क्रम में प्रश्नों को हल करने का प्रयास करें।